मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि, आयुष्मान भारत के तहत इलाज पाने वाले लाभार्थियों की संख्या पहुंची 2 करोड़
PMJAY Ayushman Bharat Scheme: मोदी सरकार (Modi Government) ने आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY) के ...अधिक पढ़ें
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नई दिल्ली. मोदी सरकार (Modi Government) ने आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY) के तहत 2 करोड़ लोगों के इलाज (Treatment) पूरा करने की उपलब्धि हासिल कर ली है. स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) का दावा है कि इस योजना से गरीब लोगों (Poor People) को अब तक 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ हुआ है. देश के स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया (Health Minister Mansukh Mandavia) ने बुधवार को इस योजना के तहत 2 करोड़ लोगों के इलाज पूरा होने की उपलब्धि के अवसर पर कहा कि ये वही लोग हैं जो गरीबी की वजह से अपना इलाज सही ढंग से नहीं करा पाते थे. जिन 2 करोड़ लोगों को अस्पताल में भर्ती कराके इस योजना के तहत इलाज मिला है, उनमें से कई ऐसे लोग थे जो ऐसी बीमारियों का सामना कर रहे थे जिनमें जान भी जा सकती थी. इस योजना ने बहुत सारे लोगों को नया जीवन दान देने का काम किया है.
23 सितंबर 2018 को आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत हुई थी
बता दें कि 23 सितंबर 2018 को पीएम मोदी ने आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की शुरुआत झारखंड की राजधानी रांची से की थी. उस वक्त पीएम ने कहा था कि इस योजना के जरिए हम एक ऐसा भारत बनाना चाहते हैं, जहां हर नागरिक स्वस्थ्य हो और स्वास्थ्य सेवाओं पर होने वाला खर्च नागरिकों पर बोझ न बने.
इस योजना ने बहुत सारे लोगों को नया जीवन दान देने का काम किया है-मांडविया
स्वास्थ्य मंत्री ने इस मौके पर कही यह बात
मांडविया ने कहा, ‘जब यह योजना को लॉन्च किया गया था तो उस वक्त तक बहुत सारे लोगों की प्राथमिकता में स्वास्थ्य नहीं था. लेकिन, यह प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता थी कि उन्होंने ऐसी योजना की परिकल्पना की और इसे लागू किया. आज जब पूरी दुनिया के साथ-साथ हमारा देश भारत भी कोविड-19 महामारी की मार झेल रहा है तो ऐसे में इस योजना की उपयोगिता अब हर कोई महसूस कर रहा है.
दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम
मांडविया ने आगे कहा कि PM-JAY दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम है. इसके लाभार्थियों की संख्या 55 करोड़ से अधिक है. भारत जैसे देशों में देखा गया है कि हेल्थकेयरर पर होने वाला खर्च सामान्य परिवारों पर बहुत बड़ा बोझ बन जाता है. खासकर गरीब परिवारों के लोगों को इलाज के लिए कर्ज लेना पड़ता है. महिलाओं को अपना जेवर गिरवी रखना पड़ता है. हम सबने देखा-सुना होगा कि लोगों को इलाज के लिए अपनी जमीन-जायदाद तक बेचनी पड़ती है. जिंदगी भर की बचत एक झटके में बीमारी छिन लेती है. प्रधानमंत्री जी की पहल पर शुरू हुई इस योजना ने ऐसे लोगों का दुख-दर्द दूर करने का काम किया है.
मांडविया ने आगे कहा कि PM-JAY दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम है.
महिलाएं आयुष्मान कार्ड बनाने में सबसे आगे
बता दें कि आयुष्मान कार्ड जितने लोगों को मिले हैं, उनमें से तकरीबन 50% महिलाएं हैं. जितने लोग अस्पताल में भर्ती हुए हैं, उनमें 47% महिलाएं हैं. PM-JAY के तहत 141 ऐसे medical procedures शामिल किए गए हैं, जो सिर्फ महिलाओं के लिए हैं. महिलाएं सिर्फ इस योजना की लाभार्थी ही नहीं हैं बल्कि इस योजना के क्रियान्वयन में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. ग्रामीण भारत में आशा वर्कर और अस्पतालों में आरोग्य मित्र से लेकर राज्य की कई हेल्थ एजेंसियां की प्रमुख के तौर पर भी महिलाएं इस योजना के क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभा रही हैं.
कोरोना महामारी के बाद बड़ी उपलब्धि हासिल की
मांडविया ने इस मौके पर कहा, ‘अब तक इस योजना के तहत तकरीबन 16.50 करोड़ लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड जारी किए गए हैं. यह उपलब्धि तब हासिल की गई है, जब पिछले डेढ़ 1.5 साल से कोरोना महामारी का सामना कर रहे हैं. आयुष्मान भारत PM-JAY आने वाले दिनों में और बढ़े और जन भागीदारी से एक mass movement का रूप ले. हमें यह सोचना चाहिए कि इसके क्रियान्वयन में इसके बारे में जागरूकता फैलाने में समाज के अलग—अलग वर्गों का सहयोग हम कैसे ले सकते हैं.
विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना आयुष्मान भारत की शुरुआत रांची से हुई थी.
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इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने इससे जुड़ी दो और योजनाएं शुरू करने का ऐलान किया. पहला, ‘आयुष्मान मित्र’ की शुरुआत की. इसके जरिए वैसे लोग सामने आएंगे जो न सिर्फ इस योजना के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाएंगे बल्कि लोगों को ये भी बताएंगे कि इस योजना का लाभ कैसे लें. वहीं ‘आयुष्मान अधिकार पत्र’ भी लॉन्च किया गया. यह लाभार्थियों के हक को बताएगा. इसके तहत जब लाभार्थी अस्पताल में भर्ती होने जाएंगे तो उस वक्त ही उन्हें उनके अधिकारों और सुविधाओं के बारे में पता चल जाएगा. इससे लाभार्थियों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और इस योजना में शामिल अस्पतालों में वे क्वालिटी इलाज हासिल कर पाएंगे.
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